रात में सोते समय पुरुष का अपने आप डिस्चार्ज होने को नाइटफॉल कहा जाता है। कई लोगों ने इसे बीमारी बताकर स्वप्नदोष कहना शुरू कर दिया। इस वजह से फिजूल के इसका इलाज भी बताना शुरू कर दिया। जबकि न यह दोष है यानी न ही यह कोई बीमारी है, इसलिए इसके इलाज की भी ज़रूरत नहीं है। इसे स्वप्न्मैथुन या कहना ज्यादा मुफीद है।
हकीकत यह है कि स्वप्नमैथुन यानी नाइटफॉल का होना एक सामान्य प्रक्रिया है। यह ठीक उसी तरह है जैसे हम सहवास, हस्तमैथुन करते हैं। इस हिसाब से इस प्रक्रिया को स्वप्न सहवास या स्वप्नमैथुन कह सकते हैं। इन तीनों में एक बड़ा फर्क है। सहवास यानी मैथुन और हस्तमैथुन यानी मैस्टरबेशन में हम अपनी इच्छा के अनुसार करते हैं। वहीं स्वप्नमैथुन नींद में किसी के ख्वाबों की सहायता से अपने आप हो जाता है।
सहवास, मैस्टरबेशन या फिर स्वप्न्मैथुन के दौरान जब पुरुष डिस्चार्ज होता है तो सीमन यानी वीर्य निकलता है। सीमन में सेमिनल वेसिकिल लिक्विड, प्रोस्टेट का स्राव और करीब 1 फीसदी शुक्राणु यानी स्पर्म होता है। पुरुषों में इन सभी के बनने की प्रक्रिया ताउम्र चलती रहती है जब तक वह शख्स ज़िंदा रहता है। हां, उम्र के साथ मात्रा कम होती जाती है, लेकिन बनना बंद नहीं होता।
ऐसे में सवाल यह है कि तो फिर स्वप्न्मैथुन यानी नाइटफॉल होता क्यों है? तो इसका सीधा-सा जवाब है जब प्याला भर जाएगा और हम उस प्याला को खाली भी नहीं करेंगे और फिर भी उसमें चाय या पानी डालते जाएंगे तो वह ओवरफ्लो तो करेगा ही। यानी वह लिक्विड छलक कर बाहर तो आ ही जाएगा। ऐसा ही नाइटफॉल के मामले में भी होता है। टीनएज में पहुंचने के बाद जब लड़कों में सेक्सुअल कैरेक्टर उभरते हैं। मसलन: सेक्स हॉर्मोन बनना, सीमन बनना तो यह स्टोर होता रहता है। फिर एक वक्त ऐसा आता है कि यह पूरा भर जाता है।
जो मैस्टरबेशन करते हैं या फिर सहवास में शामिल होते हैं, उनका तो खाली होता रहता है। लेकिन जो ऐसा नहीं करते उनका उनका नींद में ओवरफ्लो होने लगता है। इसे ही स्वप्न्मैथुन कहा जाता है। इसे निकलने से न कभी कमजोरी आती है और न कोई परेशानी
होती है। इसे बीमारी कहना अपने आप में भ्रमित करने जैसा है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। चिंता की कोई बात नहीं है।
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