top of page

How Big is Big Enough?

क्या पेनिस की साइज़ से पड़ता है फर्क?

ree

कहते हैं कि स्ट्रेस हो तो सेक्स करना मुश्किल हो जाता है। वहीं प्राइवेट पार्ट में स्ट्रेस यानी तनाव कम हो तो परेशानी हो जाती है। ज्यादातर लोग इस बात पर भी यकीन करते हैं कि पुरुष के प्राइवेट पार्ट (पेनिस) की लंबाई जितनी ज्यादा होगी, वह उतना ही बड़ा मर्द होता है। साइज़ छोटा होने से वह अपनी महिला पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर सकता। वहीं उसे पिता बनने में भी परेशानी हो जाती है। हकीकत इससे अलग है।

 

संतुष्टि साइज़ से नहीं

इस बात को समझना होगा कि महिला की सेक्स में संतुष्टि पुरुष के प्राइवेट पार्ट यानी पेनिस की साइज़ पर आधारित नहीं होती। दरअसल, महिला की योनि यानी वजाइना की गहराई करीब 6 इंच होती है। इसे हम 3 हिस्सों में बांटेंगे तो हर हिस्से में 2 इंच आएगा। …तो योनि के पहले 2 इंच यानी शुरुआती 2 इंच में ही संवेदना होती है। उस भाग को छूने या सहलाने से महिला को उत्तेजना महसूस होती है। क्लाइटोरिस भी इसी ऊपरी हिस्से में होती है। क्लाइटोरिस को ज्यादातर महिलाओं में उत्तेजना का केंद्र यानी एपी सेंटर भी कहा जाता है। कई महिलाओं को उसके दूसरे अंगों को छूने या सहलाने से उत्तेजना होती है। वैसे महिला को क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं, यह महिला पार्टनर से बातकर ही फैसला करना चाहिए। 

अब फिर से उसी मुद्दे पर आते हैं कि जब संवेदना पहले 2 इंच में होती है तो यह स्वाभाविक है कि पुरुष के प्राइवेट पार्ट यानी पेनिस की लंबाई उत्तेजित अवस्था में अगर 2 इंच या इससे ज्यादा हो तो यह महिला की संतुष्टि के लिए काफी है। हां, ध्यान इस बात का ज़रूर रखना है कि प्राइवेट पार्ट में पर्याप्त कड़ापन यानी इरेक्शन हो और स्खलन जल्दी यानी शीघ्र स्खलन या अर्ली डिस्चार्ज की परेशानी न हो। अगर इस तरह की कोई भी समस्या है तो इसका निदान है। Healdesire के पास भी बेहतरीन उपाय हैं, स्थायी भी और फौरी तौर भी। आयुर्वेदिक भी और एलोपैथिक भी। 

 

लंबाई बढ़ाने के चक्कर करते हैं अपना नुकसान

इंटरनेट पर, सोशल मीडिया जहां देखो वहीं पर पेनिस की साइज़ को बढ़ाने के लिए दवा बेचते हैं। कभी तेल लगाने से इसकी साइज़ बढाने का दावा करते हैं। सच तो यह है कि कुदरत ने  20-21 साल की उम्र तक एक बार जो साइज़ दे दी है, वही ज़िंदगीभर रहेगी। अगर कोई पेनिस की साइज़ को बड़ा करने की बात करता है तो यह सरासर झूठ है। न कोई तेल, न को कोई दवा इस पर काम करेगी। वैसे भी जब ज़रूरत ही नहीं तो फिर बड़ा करने के बारे में सोचना क्यों। हां, इरेक्शन और अर्ली डिस्चार्ज की समस्या का समाधान होना ही चाहिए। इसलिए Healdesire सिर्फ उन्हीं समस्याओं या परेशानियों के निदान की बात करता है जो मुमकिन है। अगर किसी को इरेक्शन यानी प्राइवेट पार्ट में मजबूती कम आता हो, वह जल्दी स्खलित हो जाता है। ऐसे लोगों की परेशानियों का स्थायी और फौरी इलाज Healdesire के पास है। 

 

सेक्स के खेल में खिलाड़ी वही है जो…


ree

सच तो यह है कि सेक्स के खेल में साइज़ बड़ा होने से कोई खिलाड़ी नहीं बनता, असल खिलाड़ी वही है जो इस खेल को सही तरीके से खेलता है। दूसरे शब्दों में कहें या समझने के लिए कि अगर क्रिकेट के खेल में किसी को बड़ा बैट यानी बल्ला दे दिया जाए लेकिन उसे अच्छी बैटिंग नहीं आती हो, लेकिन एक दूसरा व्यक्ति है जिसके बैट की साइज़ छोटी है लेकिन वह बैटिंग बहुत अच्छी करता है तो यह स्वाभाविक है कि बड़ा खिलाड़ी छोटा बैट वाला ही हुआ। सेक्स यानी सहवास में जो शख्स अपनी महिला पार्टनर की ज़रूरतों, उनकी पसंद-नापसंद का ध्यान रखता है तो उस कपल को संभोग का असल सुख मिलता है। इसलिए साइज़ पर न जाएं। जहां तक पिता बनने की बात है तो इसमें साइज़ मायने नहीं रखता। इसमें अहम है स्पर्म की संख्या और उनकी गति। चंद बूंद सीमन से भी महिला मां बन जाती है। 



ध्यान दें: चूंकि पेनिस की साइज़ पर भ्रम की स्थिति है, इसलिए इससे जुड़े सवाल भी कई हैं:

Q. मुझे ऐसा महसूस होता है कि मेरे प्राइवेट पार्ट की साइज़ 3 इंच है। मुझे लगता है कि मेरे प्राइवेट पार्ट की साइज़ छोटी है। इसी की वजह से मैं शादी को टालता रहा हूं। क्या मैं इससे अपनी पत्नी को खुश कर पाउंगा? क्या मैं कभी पिता बन पाउंगा?

 

A. आपने जितनी भी बातें बताई हैं। इन बातों के अनुसार तो आपको कोई समस्या है ही नहीं। किसी भी महिला के प्राइवेट पार्ट की कुल गहराई अमूमन 6 इंच ही होती है। इसके पहले एक तिहाई यानी करीब 2 इंच वाले हिस्से में ही संवेदना होती है। यहीं पर क्लाइटोरिस (Clitoris) भी मौजूद होती है। ज्यादातर महिलाओं में क्लाइटोरिस ही उत्तेजना का एपी सेंटर होता है यानी सबसे ज्यादा उत्तेजना इसे ही छूने पर होती है। बाकी के अगले 4 इंच में कोई खास संवेदना नहीं होती। ऐसे में अगर किसी पुरुष के प्राइवेट पार्ट की कुल लंबाई उत्तेजित अवस्था में 2 इंच या इससे ज्यादा है तो महिला को संतुष्ट करने के लिए काफी है। 

सेक्स के दौरान फोरप्ले में कौन कितनी देर तक एक-दूसरे को उत्तेजित कर सकता है? महिला के प्राइवेट पार्ट में कितनी मात्रा में गीलापन आता है? अहम बातें ये ही हैं। अमूमन जितना ज्यादा गीलापन होता है, महिला उतनी ज्यादा उत्तेजित मानी जाती है। वहीं महिला की योनि (Vagina) में प्रवेश से के दौरान जल्दी डिस्चार्ज यानी शीघ्र पतन या स्खलन न हो और खेल लंबा चले तो वही सेक्स हेल्दी होता है। सीधे कहें तो जब दोनों पार्टनर संतुष्ट हो जाएं तो पूर्ण सहवास माना जाना चाहिए। जहां तक आपके पिता बनने की बात है तो इसके लिए चंद बूंद वीर्य यानी सीमन ही काफी है। 

     पुरुष के प्राइवेट पार्ट की लंबाई बढ़ाने को लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं। आपने भी ऐसे विज्ञापन देखे होंगे। ऐसे विज्ञापनों के चक्कर में न पड़ें। ऐसा मुमकिन नहीं है। 20 से 21 साल तक कुदरती यानी नेचुरल तौर पर जितनी बढ़नी होती है, बढ़ जाती है। किसी तेल या क्रीम लगाने से इसकी लंबाई पर कोई फर्क नहीं पड़ता। 



Q. कहीं मेरे प्राइवेट पार्ट की लंबाई कम तो नहीं हो रही? मैं 45 साल का हूं। 


A. चिंता और प्राइवेट पार्ट यानी पेनिस की लंबाई का विपरीत संबंध है। ज्यादा चिंता मतलब प्राइवेट की साइज़ का छोटा होना। लेकिन यह छोटा होना कुछ क्षणों के लिए होगा। इसे आप सुषुप्तावस्था कह सकते हैं यानी जब आप उत्तेजना में नहीं होंगे तो इसकी साइज़ छोटी होगी। पर जैसे ही आप एंग्जायटी फ्री होंगे। पेनिस की लंबाई आपके सामान्य लंबाई जितनी हो जाएगी। सुषुप्तावस्था में पेनिस का काम सिर्फ यूरिन यानी सुसु करने के काम आता है। वहीं उत्तेजित होने यानी इरेक्शन आने के बाद ही प्राइवेट पार्ट की साइज़ का असल पता चलता है। 

इसका मतलब यह भी नहीं कि पुरुष के प्राइवेट पार्ट यानी पेनिस की लंबाई जितनी होगी, वह उतना मर्द होगा। ऐसा सोचना गलत है। दरअसल, महिला के प्राइवेट पार्ट की कुल गहराई 6 इंच के करीब होती है। इसमें से पहले 2 इंच यानी एक तिहाई हिस्से में ही संवेदना होती है। इसी पहले हिस्से में छुवन (पेनिस या उंगली) से महिला उत्तेजित होती है। इसके आगे के 4 इंच में छुवन या टच से कोई फर्क नहीं पड़ता। सीधे कहें तो बेहतरीन सेक्स के लिए उत्तेजित अवस्था में पुरुष के प्राइवेट पार्ट की कुल लंबाई 2 इंच या इससे ज्यादा हो तो काफी है। यह सोचना कि जितना बड़ा, उतना बेहतर। एक भ्रम है। गलत अवधारणा है। वैसे भी सेक्स की पिच पर एक औसत प्राइवेट पार्ट की साइज वाला शख्स भी अच्छा सेक्स कर सकता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे कि क्रिकेट मैदान में बैट की साइज़ से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। असल कमाल तो तकनीक है और रुककर खेलने का। जहां तक प्राइवेट पार्ट के छोटे या बड़े होने की बात है तो 20-21 साल के बाद इसमें कोई खास परिवर्तन नहीं आता।







Book your appointment
15
Book Now



 
 
 

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page